Operation sindoor: एक साहसिक मानवीय मिशन
Operation sindoor: एक साहसिक मानवीय मिशन
भारतीय सेना ने हमेशा अपने अदम्य साहस, समर्पण और मानवता के लिए दुनिया भर में सम्मान प्राप्त किया है। 2024 में भारतीय सेना द्वारा अंजाम दिया गया ”operation sindoor ” इसी श्रृंखला में एक और ऐतिहासिक और सराहनीय कदम था। यह अभियान मणिपुर के एक सवेंदनशील और ऐतिहासिक और सराहनीय कदम था। यह अभियान मणिपुर के एक संवेदनशील और संघर्ष ग्रस्त क्षेत्र में फसे नागरिको को सुरक्षित निकालने के उद्देश्य से चलाया गया। इस ऑपरेशन ने सेना की रणनीतिक कुशलता और मानवीय संवेदना का एक प्रेरणादायक उदहारण प्रस्तुत किया।
भारत ने 7 मई 2025 को ‘Operation sindoor’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoJK) में नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक सैन्य हमले किए। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के प्रतिशोध में की गई, जिसमें कई निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।
operation sindoor की पृष्ठ भूमि
मणिपुर राज्य में जातीय तनाव और हिंसा की स्थिति 2023 के बाद से लगातार बनी थी। कुकी और मैतई समुदाय के बीच हिंसक झड़पों ने राज्य में अस्थिरता पैदा कर दी थी। कई इलाको में लोगो को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। महिलाओ, बच्चो और बुजुर्गो की स्थिति बेहद चिंताजनक हो गयी थी।
ऐसे कठिन समय में भारतीय सेना ने ”operation sindoor” की योजना बनाई जिसका उद्देश्य था मणिपुर के हिंसाग्रस्त इलाको से नागरिको को सुरक्षित निकालकर रहत शिविरों तक पहुंचना और उन्हें भोजन, दवा, सुरक्षा और आश्रय उपलब्ध करना।
ऑपरेशन का नाम: ”सिन्दूर” क्यों
‘सिंदूर’ शब्द हिंदू संस्कृति में विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला लाल रंग का चिह्न है, जो उनके पति की लंबी उम्र और सुरक्षा का प्रतीक होता है। इस ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ रखने का उद्देश्य उन महिलाओं को श्रद्धांजलि देना था, जिन्होंने पहलगाम हमले में अपने पति खो दिए थे। यह नाम भारतीय सेना के संकल्प और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक है।
ऑपरेशन की शुरुआत और रणनीति
भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और PoJK में स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन (HM) जैसे संगठनों द्वारा संचालित थे। इन ठिकानों में प्रशिक्षण शिविर, लॉंच पैड, और संचार केंद्र शामिल थे, जो भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए उपयोग किए जा रहे थे।
Operation sindoor की शुरुआत 2024 के आरम्भ में की गयी थी। इसे अंजाम देने के लिए भारतीय सेना की विभिन्न यूनिट्स, अर्धसैनिक बल, असम राइफल्स और स्थानीय प्रशासन के बिच तालमेल स्थापित किया गया। सेना ने सबसे पहले संवेदनशील इलाको की पहचान की। इनमे से कई गाँवो में न तो इंटरनेट था, न ही बिजली और सड़को तक पहुंचना भी बेहद कठिन थका। सेना ने हेलीकॉप्टर बख्तरबंद वाहनों और पैदल गश्त के जरिये इन् क्षेत्रों तक पहुंच बनाई।
मुख्य गतिविधियां:
नागरिको का सुरक्षित निकास: हिंसा में फंसे नागरिको को चरणबद्ध तरीके से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। विशेष रूप से महिलाओ, बच्चो और बुजुर्गो को प्राथमिकता दी गयी।
राहत सामग्री का वितरण: सेना ने भोजन, कपडे, दवाइयां और पिने का साफ पानी उपलब्ध कराया। स्थानीय स्कूलों और कैंपो को अस्थायी राहत केन्द्रो में बदला गया।
स्वास्थ्य सहायता: मेडिकल टीमें गठित की गयी, जिन्होंने प्राथमिक चिकित्सा, टीकाकरण और मानसिक परामर्श जैसी सेवाएं प्रदान की।
प्रमुख लक्षित ठिकाने
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मार्काज़ सुब्हान अल्लाह, बहावलपुर: जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय, जहां आतंकी प्रशिक्षण और धार्मिक कट्टरता का प्रचार होता था।
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मार्काज़ तैयबा, मुरिदके: लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र, जहां 26/11 के हमलावरों को प्रशिक्षित किया गया था।
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सरजल/तेहरा कलां: जैश-ए-मोहम्मद का लॉंचिंग पैड, जहां से सुरंग निर्माण और ड्रोन संचालन होता था।
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महमूना जोया सुविधा, सियालकोट: हिजबुल मुजाहिदीन का ठिकाना, जहां से जम्मू में घुसपैठ की योजना बनाई जाती थी।
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मार्काज़ अहले हदीस, बर्नाला, भिंबर: लश्कर-ए-तैयबा का केंद्र, जो पुंछ-राजौरी क्षेत्र में आतंकियों की घुसपैठ के लिए उपयोग होता था।
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मार्काज़ अब्बास, कोटली: जैश-ए-मोहम्मद का ठिकाना, जहां से घुसपैठ की योजना बनाई जाती थी।
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मास्कर रहील शाहिद, कोटली: हिजबुल मुजाहिदीन का प्रशिक्षण शिविर, जहां हथियार प्रशिक्षण और गुरिल्ला युद्ध की शिक्षा दी जाती थी।
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शवाई नल्लाह कैंप, मुजफ्फराबाद: लश्कर-ए-तैयबा का केंद्र, जहां धार्मिक कट्टरता और हथियार प्रशिक्षण होता था।
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मार्काज़ सैयदना बिलाल: जैश-ए-मोहम्मद का ट्रांजिट कैंप, जहां से आतंकियों की घुसपैठ की योजना बनाई जाती थी।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की और दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की। उन्होंने कहा, “हमने इसके बारे में सुना है और आशा करते हैं कि यह जल्द समाप्त होगा।
निष्कर्ष
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति और नागरिकों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह कार्रवाई न केवल आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने के लिए थी, बल्कि उन निर्दोष लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास भी था, जिन्होंने आतंकवाद का शिकार होकर अपने प्रियजनों को खो दिया।
इस ऑपरेशन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकता है और अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।