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Chandra Shekhar: A Brief Tenure as Prime Minister

Chandra Shekhar: A Brief Tenure as Prime Minister

 

Chandra Shekhar: A Brief Tenure as Prime Minister

Chandra Shekhar: A Brief Tenure as Prime Minister

परिचय

Chandra Shekhar, जिन्हें जननायक के रूप में भी जाना जाता है, भारत के आठवें प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक कार्य किया। उनका कार्यकाल केवल 223 दिनों का था, जो भारत के इतिहास में सबसे छोटे कार्यकालों में से एक है। एक समाजवादी नेता और विचारधारा के प्रति समर्पित राजनेता के रूप में, Chandra Shekhar ने भारतीय राजनीति में एक अद्वितीय स्थान बनाया। उनका जीवन, संघर्ष, और नेतृत्व भारतीय राजनीति के उतार-चढ़ाव को दर्शाता है। यह लेख उनके जीवन, राजनीतिक यात्रा, और प्रधानमंत्री के रूप में उनकी भूमिका पर प्रकाश डालता है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

Chandra Shekhar का जन्म 17 अप्रैल 1927 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के इब्राहिमपट्टी गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। बलिया, जो स्वतंत्रता संग्राम में अपनी विद्रोही भावना के लिए जाना जाता है, ने चंद्रशेखर के व्यक्तित्व को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भीमपुरा के राम करन इंटर कॉलेज में हुई, और बाद में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की (1950-51)। छात्र जीवन से ही वे समाजवादी विचारधारा और क्रांतिकारी जोश के प्रति आकर्षित थे।

Chandra Shekhar का जुड़ाव समाजवादी आंदोलन से तब शुरू हुआ जब वे आचार्य नरेंद्र देव जैसे प्रमुख समाजवादी नेताओं के संपर्क में आए। उनकी यह विचारधारा उनके राजनीतिक जीवन का आधार बनी। उन्होंने समाजवादी आंदोलन में सक्रियता दिखाई और जल्द ही बलिया जिले में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के सचिव चुने गए।

राजनीतिक यात्रा

Chandra Shekhar की राजनीतिक यात्रा 1950 के दशक में शुरू हुई जब वे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी) में शामिल हुए। 1952 में, वे बलिया जिले के पीएसपी के सचिव बने और 1955-56 तक उत्तर प्रदेश राज्य प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में कार्य किया। 1962 में, वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए, जिसने उनके राष्ट्रीय राजनीतिक करियर की शुरुआत की।

1965 में, Chandra Shekhar ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया, जो उस समय देश की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक पार्टी थी। कांग्रेस में, वे “यंग तुर्क” के रूप में उभरे, जो समाजवादी सुधारों और पार्टी के भीतर पुराने नेतृत्व के खिलाफ थे। 1969 में, वे बैंक राष्ट्रीयकरण के समर्थन और कांग्रेस के पुराने नेताओं (“सिंडिकेट”) के खिलाफ अपनी मुखरता के लिए जाने गए। हालांकि, 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान उनकी असहमति ने उन्हें जेल में डाल दिया। इस दौरान लिखी गई उनकी डायरी, “मेरी जेल डायरी,” उनकी विचारधारा और संघर्ष को दर्शाती है।

आपातकाल के बाद, Chandra Shekhar ने कांग्रेस छोड़ दी और 1977 में जनता पार्टी के अध्यक्ष बने। जनता पार्टी ने 1977 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की, और चंद्रशेखर बलिया से सांसद चुने गए। 1977 से 1988 तक वे जनता पार्टी के एक प्रमुख नेता रहे।

भारत यात्रा और जनसंपर्क

1983 में, Chandra Shekhar ने कन्याकुमारी से नई दिल्ली के राजघाट तक लगभग 4260 किलोमीटर की पैदल यात्रा, जिसे “भारत यात्रा” के नाम से जाना जाता है, शुरू की। यह यात्रा 6 जनवरी 1983 को शुरू हुई और 25 जून 1983 को समाप्त हुई। इस यात्रा का उद्देश्य आम लोगों के साथ जुड़ना और उनकी समस्याओं को समझना था। इस दौरान, उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में भारत यात्रा केंद्र स्थापित किए, जो सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए बनाए गए थे। यह यात्रा उनकी जन-केंद्रित राजनीति का प्रतीक थी।

प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल

1989 के लोकसभा चुनाव में, जनता दल ने कांग्रेस को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन Chandra Shekhar को विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में गठित सरकार में प्रधानमंत्री का पद नहीं मिला, जिसे वे योग्य मानते थे। असहमति के कारण, उन्होंने 1990 में जनता दल से अलग होकर समाजवादी जनता पार्टी/जनता दल (सोशलिस्ट) का गठन किया। 10 नवंबर 1990 को, कांग्रेस के बाहरी समर्थन के साथ, चंद्रशेखर ने 64 सांसदों के साथ अल्पमत सरकार बनाई और भारत के आठवें प्रधानमंत्री बने।

उनका कार्यकाल भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय में आया। देश आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, और 1991 की आर्थिक मंदी ने स्थिति को और जटिल कर दिया। मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को डाउनग्रेड कर दिया, जिसके कारण विश्व बैंक और आईएमएफ ने सहायता रोक दी। Chandra Shekhar की सरकार को बजट पास करने में असफलता का सामना करना पड़ा, और आर्थिक संकट से निपटने के लिए उन्हें देश का सोना गिरवी रखना पड़ा। इस कदम की कड़ी आलोचना हुई, खासकर क्योंकि इसे गुप्त रूप से किया गया था।

इसके अलावा, 1991 में राजीव गांधी की हत्या ने देश को राजनीतिक अस्थिरता में डाल दिया। Chandra Shekhar की सरकार को कांग्रेस के समर्थन पर निर्भर रहना पड़ा, और जब कांग्रेस ने मार्च 1991 में समर्थन वापस ले लिया, तो उनकी सरकार गिर गई। उन्होंने 21 जून 1991 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।

उपलब्धियां और आलोचनाएं

Chandra Shekhar का कार्यकाल भले ही संक्षिप्त रहा, लेकिन इस दौरान उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए। खाड़ी युद्ध के दौरान, उन्होंने अमेरिकी सैन्य विमानों को भारतीय हवाई अड्डों पर ईंधन भरने की अनुमति दी, जिसने पश्चिमी देशों के साथ भारत के संबंधों को बेहतर किया। इसके अलावा, उन्होंने रक्षा, गृह, और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों का प्रभार भी संभाला।

हालांकि, उनकी सरकार की सबसे बड़ी आलोचना आर्थिक संकट से निपटने में असफलता और सोना गिरवी रखने के फैसले को लेकर थी। उनकी अल्पमत सरकार को नीतिगत फैसले लेने में कठिनाई हुई, और कांग्रेस के साथ गठबंधन की अस्थिरता ने उनके कार्यकाल को और कमजोर किया।

व्यक्तिगत जीवन और विरासत

Chandra Shekhar ने दूजा देवी से विवाह किया, और उनके नाम पर बलिया में दूजा देवी डिग्री कॉलेज स्थापित किया गया। वे हमेशा सादगी और समाजवादी मूल्यों के प्रति समर्पित रहे। उनकी लेखन शैली और विचारधारा को उनकी पुस्तक “डायनामिक्स ऑफ सोशल चेंज” में देखा जा सकता है।

Chandra Shekhar का निधन 8 जुलाई 2007 को कैंसर के कारण हुआ। उनकी मृत्यु पर सरकार ने सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने जाति, धर्म, या समुदाय से ऊपर उठकर सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया।

निष्कर्ष

Chandra Shekhar का जीवन और राजनीतिक करियर एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर असाधारण ऊंचाइयों तक पहुंचने की कहानी है। उनका संक्षिप्त प्रधानमंत्री कार्यकाल भले ही आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों से भरा रहा, लेकिन उनकी समाजवादी विचारधारा, जनसंपर्क, और साहसिक नेतृत्व ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक विशेष स्थान दिलाया। उनकी भारत यात्रा और मेरी जेल डायरी जैसे कार्य आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। Chandra Shekhar एक ऐसे नेता थे जिन्होंने हमेशा सिद्धांतों को प्राथमिकता दी, और उनकी यह विरासत भारतीय राजनीति में हमेशा जीवित रहेगी।

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