Education The Backbone of Society : समाज की रीढ़
शिक्षा का अर्थ है, जीवन के हर पहलु की समझ और ज्ञान प्राप्त करना। यह केवल पुस्तकों तक सिमित नहीं है बल्कि यह जीवन के अनुभवों, मूल्यों, सोचए की क्षमता और चरित्र निर्माण का एक सशक्त माध्यम है। शिक्षा न केवल व्यक्ति को बेहतर जीवन जीने की राह दिखती है बल्कि एक सृमद्ध, सशक्त और नैतिक समाज की स्थापना में भी सहायक होती है। इसलिए शिक्षा को समाज की रीढ़ के बिना किसी शरीर की तरह समाज भी बिना शिक्षा के अस्थिर और कमजोर हो जाता है।
शिक्षा का महत्व:
- सामाजिक सुधार: एक शिक्षित अंध विश्वास, जातिवाद, बाल विवाह, दहेज़ प्रथा जैसी सामाजिक कुरूतियो का विरोध करता है और समाज में बदलाव लाने में योगदान देता है।
- व्यक्तिगत विकास: शिक्षा व्यक्ति को सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है। यह आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और आत्म – सम्मान को बढ़ती है।
- आर्थिक उन्नति: शिक्षा रोजगार के नए अवसर प्रदान करती है और व्यक्ति की आय बढ़ती है। एक शिक्षित समाज अधिक उत्पादक और आर्थिक रूप से सशक्त होता है।
- लोकतंत्र की मजबूती: एक शिक्षित नागरिक अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग रहता है और लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी करता है।
- वैश्विक प्रतिस्प्रधा: आज की दुनिया ज्ञान और कौशल की दुनिया है। केवल वही देश आगे बढ़ सकता है जिसकी शिक्षा प्रणाली और आधुनिक हो।
भारत में शिक्षा की वर्तमान स्थिति:
भारत पूरी दुनिया में शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत में लगभग 1.5 मिलियन स्कूल हैं जिनमें 260 मिलियन छात्र नामांकित हैं। इसके अलावा, देश में 751 विश्वविद्यालयों के अंतर्गत लगभग 35,539 कॉलेज हैं। इसलिए यह आसानी से कहा जा सकता है कि शिक्षा का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत ढाँचा भारत में मौजूद है। हालाँकि, भारतीय शिक्षा ढाँचे में सुधार की बहुत संभावना है। यह कहा जा सकता है कि आने वाले वर्षों में भारतीय शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। वर्तमान में, भारत में शिक्षा बाजार का अनुमान 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर है और 2020 तक इसके 180 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। अप्रैल 2000 से दिसंबर 2017 तक शिक्षा क्षेत्र में FDI या प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की कुल राशि 1.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। प्रशिक्षण और शिक्षा क्षेत्र में अतीत में कुछ महत्वपूर्ण सुधार और अटकलें देखी गई हैं। इन्हें निम्नलिखित में रेखांकित किया गया है।
- कौशल विकास के लिए संस्थागत प्रणाली को उन्नत करने हेतु संकल्प परियोजना के अंतर्गत भारत द्वारा विश्व बैंक के साथ ऋण की व्यवस्था की गई है।
- इसके अलावा, दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने शीर्ष संगठनों में नियुक्ति के लिए 2017 की वैश्विक विश्वविद्यालय रोजगारपरकता रैंकिंग में 145वां स्थान हासिल किया है।
- डाबर इंडिया लिमिटेड ने ढेकियाल गांव में महिलाओं के लिए कौशल विकास केंद्र खोला है। यह असम का एक प्रांत है जो ग्रामीण महिलाओं को स्वतंत्र काम के साथ-साथ बेहतर काम के अवसर प्रदान करने में मदद करेगा।
नई शिक्षा नीति 2020:
भारत की शिक्षा नीति है जिसे भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया। सन 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला बड़ा परिवर्तन है। यह नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित हैंं l राष्ट्रीय शिक्षा नीति 27 अध्याय ओर 4 भागों मे विभक्त है
- प्रमुख बातें
- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio-GER) को 100% लाने का लक्ष्य रखा गया है।
- नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत शिक्षा क्षेत्र पर सकल घरेलू उत्पाद के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है।
- ‘मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय’ का नाम परिवर्तित कर ‘शिक्षा मंत्रालय’ कर दिया गया है।
- पाँचवीं कक्षा तक की शिक्षा में मातृभाषा /स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है। साथ ही मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।
- देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये “भारतीय उच्च शिक्षा परिषद” नामक एक एकल नियामक की परिकल्पना की गई है।
- शिक्षा नीति में यह पहला परिवर्तन बहुत पहले लिया गया था लेकिन अबकी बार 2020 में जारी किया गया|
शिक्षा और सामाजिक विकास:
शिक्षा संज्ञानात्मक विकास को बढ़ावा देती है, जिससे व्यक्ति समस्या समाधान, आलोचनात्मक सोच और सीखने की क्षमता विकसित कर सकते हैं. साथ ही, यह सामाजिक कौशल, जैसे कि संवाद, सहयोग और नेतृत्व, को भी विकसित करने में मदद करती है शिक्षा व्यक्तियों को बेहतर रोजगार के अवसरों और आर्थिक रूप से अधिक स्थिर जीवन जीने में मदद करती है. यह सामाजिक गतिशीलता को भी बढ़ाती है, जिससे व्यक्ति सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं. शिक्षा सामाजिक विकास का एक आवश्यक घटक है, जो व्यक्तियों और समाज दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. शिक्षा में निवेश करके, हम एक अधिक समतापूर्ण, समृद्ध और न्यायपूर्ण दुनिया बना सकते हैं.
आधुनिक समाज में शिक्षा की भूमिका:
आज के विज्ञानं और तकनिकी युग में शिक्षा की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गयी है।
आधुनिक शिक्षा क्या होती है?
आधुनिक युग में शिक्षा के साथ-साथ विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं। जिससे छात्र जीवन में ही विद्यार्थी व्यावसायिक समस्याओं के समाधान प्राप्त कर कुशल कर्मचारी बन सकें। निम्नलिखित बिंदुओं से आप इस विषय के बारें में आसानी से समझ सकते हैं;
- आधुनिक युग में शिक्षा का महत्व पहले की तुलना में काफी बढ़ गया है।
- आज की पीढ़ी का जीवन जीने का नया दृष्टिकोण आधुनिक शिक्षा की ही देन है।
- वर्तमान में ज्ञान प्राप्त करना ही काफी नहीं, आधुनिकता के इस युग में नॉलेज के साथ-साथ प्रैक्टिकल पर भी अधिक बल दिया जाता है, जिसे व्यावहारिक ज्ञान कहा जाता है।
- आधुनिक युग में विकसित होती सभ्यता को मशीनीकरण का वरदान मिला जिसने हम इंसानों का काम सरल किया। इन्हीं तकनीकी शिक्षा के लिए आज इंसान संघर्ष कर रहा है।
- आधुनिक युग में शिक्षा को सीमाओं और बंधनों से मुक्त रखा गया है, जो समाज को संगठित करने में सक्षम है।
आधुनिक युग में शिक्षा का महत्व
शिक्षा किसी भी व्यक्ति को समृद्ध और संपन्न बनाती है, शिक्षा मानव को मानवता सिखाती है। एक बेहतर जीवन को जीने के लिए हर व्यक्ति का शिक्षित होना आवश्यक है। यदि आप शिक्षित हैं तो आप जीवन की हर समस्या का समाधान बड़ी सूझबूझ के साथ कर सकते हैं।
शिक्षा प्रणालियों की चुनौतियां:
शिक्षा की वहनीयता और सुलभता भारतीय शिक्षा प्रणाली के सामने महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं। भारत में शिक्षा अभी भी आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए वहनीय नहीं है। इसके अतिरिक्त, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच शिक्षा तक पहुँच में एक महत्वपूर्ण असमानता है, ग्रामीण क्षेत्रों में कई छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।समाधान: सरकार को आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को छात्रवृत्ति और वित्तीय सहायता प्रदान करके शिक्षा तक पहुँच बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक स्कूल और विश्वविद्यालय बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए, जिससे शिक्षा तक पहुँच में सुधार हो सकता है। सरकार को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने की संभावना भी तलाशनी चाहिए, जिससे वहनीयता और पहुँच की चुनौतियों को दूर करने में मदद मिल सकती है।
मुख्य चुनौतियों में अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, शिक्षकों की गुणवत्ता, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच, ड्रॉपआउट दरें और आलोचनात्मक सोच और रचनात्मकता के बजाय रटने पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, सामाजिक-आर्थिक असमानताएं शैक्षिक पहुंच और गुणवत्ता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं।
प्रभावी शिक्षण के लिए शिक्षक की गुणवत्ता महत्वपूर्ण है। भारत में कई शिक्षक पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं या उनमें निरंतर व्यावसायिक विकास की कमी है; इससे उनकी शिक्षण पद्धति और छात्रों को आकर्षित करने की क्षमता प्रभावित होती है। शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सहायता में सुधार आवश्यक है।
निष्कर्ष
शिक्षा वास्तव में समाज की रीढ़ है। यह व्यक्ति को न केवल आत्मनिर्भर बनाती है बल्कि उसे एक जागरूक, जिम्मेदार नागरिक के रूप में समाज में स्थापित करती है। एक शिक्षित समाज ही सशक्त सृमद्ध और समरस समाज होता है। इसलिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है की हम शिक्षा को हर व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास करे। यह हमारी जिम्मेदारी है की हम न केवल स्वयं शिक्षित बने बल्कि दुसरो को भी शिक्षा के महत्व से परिचित करवाए।